गुरुवार, 25 जुलाई 2013

बर्बाद

देख शहादत, तेरी रोया;
सारी रात, नहीं मैं सोया ..
जाने, किस गफ़लत में खोया..
देश तेरा बर्बाद हुआ...

सीना चौड़ा, लहू डुबोया ...
गोली निकली, बदन पिरोया...
क्या काटा और, क्या था बोया.
देश तेेरा बर्बाद हुआ

खून पसीने, बदन भिगोया
घर का कूड़ा कचरा धोया
जिसकी खातिर, सब कुछ ढोया
देश तेरा बर्बाद हुआ...

शहीद इन्स्पेक्टर श्री मोहन चंद शर्मा को समर्पित...
25/07/2013.

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें