गुरुवार, 26 मार्च 2009

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रविवार, 1 मार्च 2009

किशनू की हांडी

माता ने ऊपर चढ़कर हांडी दी लटकाय
किशनू
ने नीचे से ही , झट से दी चटकाय ।
मार गुलेल तोड़ दी हांडी , माखन बिखरन लागा
पाव छटांक हाथ को आया , बाकि हुआ अभागा ।
माता ने जो सुनी आवाज, दौडी दौडी आई
"क्यो रे किशनू के बच्चे ! हांडी क्यों चटकाई ?"




" मैया मैं तो खेल रहा था , साध रहा था हाथ ,
हांडी घर में बहुत धरी हैं , चिंता की क्या बात ।
थोडी जो पड़ जायेंगी तो सौ सौ और मैं ला दूंगा ,
अभिनव जैसे गोल्ड जीतकर , सोने से भरवा दूंगा ।"


माता का माथा भन्नाया , छोरा ख्वाब देखता है ,
" सुन मेरे लाल धरती पर आ जा , क्यों अम्बर में उड़ता है।
उसका घर तो बड़ा अमीर , तुझको कौन सिखायेगा ,
तेरे जैसे लाख पड़े हैं, तू क्या तीर चलाएगा ।
दूध तीस का और एक हांडी पूरे सौ की मिलती है,
तू क्या जाने तनख्वाह में गृहस्थी कैसे चलती है ।



गया जमाना जब तू हांडी फोड़ा करता था ,
आम आदमी घर में अपने माखन जोड़ा करता था ।



इसलिए मेरे लाल , आदत अपनी बदल डाल
भूल जा पिछली सारी बातें , हम यूँ ही रस्म निभा लेंगे ,
दही चुराते छुटपन के तेरे ,
बस फोटो से काम चला लेंगे , बस फोटो से काम चला लेंगे ...... ।

आदमजात

तुम्हारी हँसी में खुशियों और प्यार का
सागर सा फैला है ।
क्या ये उच्छ्न्ख्रलता है ?
नहीं ।
दोष तुम्हारा नहीं है
दरअसल मन तो मेरा ही मैला है । ।
तुम थोड़ा खुल जाती हो तो
तुम्हे आवारा समझ लेता हूँ ,
अपनी पसंद के कपड़े पहन लेती हो तो
अश्लील कह देता हूँ ।
निःसंकोच बात करना , तुम्हारा सबसे बड़ा ,
गुनाह हो जाता है ,
बस में, ट्रेन में , या कहीं भीड़ में तुम्हे छेड़ना ,
आसान हो जाता है ।
जब दिल करता है, तुम्हे तोड़ देता हूँ ,
किसी भी सुनसान गली में रोक लेता हूँ ।
तुम्हे, बेइज्जत कर , रंजिश निकाला करता हूँ ,
मन में तुम्हारे लिए , गन्दगी पाला करता हूँ ।
हाँ मैं कमजोर हूँ, तभी तुम्हे , बांधकर रखना चाहता हूँ,
तुम पर अपनी निरंकुश सत्ता साधकर रखना चाहता हूँ ।
आश्चर्य है बहुत, कैसे तुमने चुपचाप ,
मुझको झेला है ।
क्या ये तुम्हारी आदत है ?
नहीं ।
दोष तुम्हारा नहीं हैं ।
दरअसल मैंने ही ये दोहरा खेल खेला है ।
मैंने ही ये दोहरा खेल खेला है......

चार लाइनें

ये जो खाकी पहनें पुलिस वाले हैं ,
दरअसल हमनें वर्दी में, गुंडे पाले हैं । ।

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बहुत सख्त थी जमीन , तुमने कहा पत्थर है ,
हाथों से ही तोड़कर ,
हमने उगा दी फसलें,
उसी जमीन में ,
जिसे तुमने कहा था बंजर है । ।

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