सोमवार, 2 अगस्त 2010

अनजाना डर

छिन्न भिन्न हो बंट जाऊंगा
मुझे पता था ? मर जाऊंगा?
मेरी इसमें गलती क्या है,
सपने तुमने देखे थे.
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सावन की हरियाली होगी
आँगन में फुलवारी होगी
बच्चों की किलकारी होगी
अच्छा होता ऐसा होता
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फुलवारी में कांटें होंगे
मुझे पता था? छिल जाऊंगा?
मेरी इसमें गलती क्या है,
सपने तुमने देखे थे.
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लोक लाज का पालन होगा
गृहस्थी का संचालन होगा
पित्र ऋण का तारण होगा
अच्छा होता ऐसा होता
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गृहस्थी में हंगामा होगा
मुझे पता था? हिल जाऊंगा?
मेरी इसमें गलती क्या है,
सपने तुमने देखे थे.
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जीवन में सपनें होंगे
वो सारे अपने होंगे
उनमें मन रमने होंगे
अच्छा होता ऐसा होता
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सपनों में इतिहास दिखेगा,
मुझे पता था? डर जाऊंगा?
मेरी इसमें गलती क्या है,
सपने तुमने देखे थे.
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